इनफर्टिलिटी और मोटापा: क्या बढ़ता मोटापा, ला सकता है बांझपन का साया?

Infertility & Obesity: क्या महिलाओं में मोटापे से बांझपन का खतरा बढ़ सकता है? विशेषज्ञों से समझिए-

गर्भावस्था और मोटापा:

मोटापा एक ऐसी समस्या है जो गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। हाल के एक अध्ययन में, द लांसेट ने डेटा प्रकाशित किया है जो दर्शाता है कि महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। इसके गर्भावस्था पर प्रभावों को समझने के लिए हमने विशेषज्ञों से चर्चा की। आइए जानते हैं उनके विचार।

मोटापा: क्या यह एक रोग है?

हां, मोटापा एक चयापचय संबंधी रोग है जिसमें शरीर में वसा का स्तर बढ़ जाता है। शरीर में वसा का होना सामान्य है और यह आवश्यक भी है, परंतु इसकी अधिकता से स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अत्यधिक वसा के कारण, शरीर के कार्यों में परिवर्तन हो सकते हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

मोटापे की पहचान कैसे करें?

आमतौर पर, व्यक्ति के मोटापे की श्रेणी का निर्धारण करने के लिए बीएमआई (BMI) इंडेक्स का प्रयोग किया जाता है। बीएमआई 18-25 के बीच सामान्य माना जाता है, 18 से कम वजन कम होना, 25 से अधिक वजन अधिक होना और 30 से अधिक बीएमआई को मोटापा माना जाता है।

गर्भावस्था में मोटापे के कारण जटिलताएं

सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के मेडिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. पूजा बब्बर और मैक्स अस्पताल, वैशाली के बैरियाट्रिक और रोबोटिक सर्जरी निदेशक डॉ. विवेक बिंदल के अनुसार, मोटापे के कारण गर्भावस्था में अनेक जटिलताएं आ सकती हैं। इनमें समयपूर्व प्रसव और सिजेरियन प्रसव शामिल हैं, जिससे मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

गर्भावस्था में जेस्टेशनल मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा गर्भावस्था में जेस्टेशनल मधुमेह और उच्च रक्तचाप मां और शिशु दोनों के लिए गंभीर खतरे हो सकते हैं। जेस्टेशनल मधुमेह से मां के स्वास्थ्य पर तो प्रभाव पड़ता ही है, साथ ही यह शिशु के लिए भी घातक हो सकता है, जिससे शिशु में जन्मजात हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। उच्च रक्तचाप से मां में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप से प्री-एक्लेमप्सिया का जोखिम भी बढ़ता है, जो मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

जीवनशैली में सुधार प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए मोटापे से बचाव आवश्यक है। इसके लिए खानपान में सावधानियां बरतने के साथ-साथ नियमित व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है। इससे न केवल मोटापे की समस्या से बचा जा सकता है, बल्कि यह प्रजनन स्वास्थ्य को भी सुधारने में सहायक होता है।

वजन कम करने से हार्मोनल संतुलन बना रहता है, जिससे मासिक धर्म चक्र नियमित रहता है और अंडोत्सर्ग (ओव्युलेशन) भी बेहतर होता है। इससे गर्भधारण में आसानी होती है और गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से न केवल स्वस्थ वजन बनाए रखा जा सकता है, बल्कि इससे गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं की संभावना भी कम होती है। इस प्रकार, जीवनशैली में सुधार करके और स्वस्थ आदतों को अपनाकर मोटापे और इससे जुड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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