2033 और 2035: चंद्रमा की धरती पर रूस और चीन के परमाणु ऊर्जा की नई उड़ान

रूस और चीन की योजना चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की है, जिसे 2033 और 2035 के बीच पूरा करने की उम्मीद है। इस परियोजना का उद्देश्य चंद्रमा पर भविष्य की बस्तियों को ऊर्जा प्रदान करना है, जिसके लिए सौर पैनल पर्याप्त नहीं होंगे। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के अनुसार, इस परियोजना से चंद्रमा पर इंसानी बस्तियों को बसाने में सहायता मिल सकती है।

इस योजना के तकनीकी पहलुओं को लगभग हल कर लिया गया है, लेकिन परमाणु रिएक्टर को ठंडा करने के तरीके का समाधान अभी भी खोजा जा रहा है। इस परियोजना के सफल होने पर अमेरिका के आर्टेमिस मिशन के लिए यह एक चुनौती पेश कर सकता है, जो चंद्रमा पर इंसानों को बसाने की तैयारी में है। इस परियोजना के लिए रूस न्यूक्लियर पावर से चलने वाला रॉकेट ज्यूस (Zeus) बनाएगा, जो पावर प्लांट को चांद की सतह तक पहुंचाएगा।

इस योजना की वैश्विक राजनीति और अंतरिक्ष अन्वेषण पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, और यह अंतरिक्ष की दौड़ में नए आयाम स्थापित कर सकता है। इससे अंतरिक्ष में नई तकनीकी संभावनाओं का द्वार भी खुल सकता है। चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना न केवल ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि यह अंतरिक्ष यात्रा और अन्वेषण के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करेगी।

2026 में अनावरण होगा चीन का प्रथम चंद्र अभियान

 चीन की योजना अंतरिक्ष की ओर तीन बड़े कदम रखने की है, जिसमें चांग ई 6, चांग ई 7, और चांग ई 8 मिशन शामिल हैं। इस श्रृंखला का पहला मिशन, जो 2026 में निर्धारित है, चंद्रमा पर रोबोटिक अनुसंधान और प्रयोगों के लिए एक नवीन रोडमैप तैयार करेगा और इसे दूरस्थ रूप से संचालित करने की क्षमता का परीक्षण करेगा। इस अभियान की समाप्ति 2028 में होने की उम्मीद है।

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